यही मोर अरदास, हाथ जोड़ विनती करूं।

सब विधि करौ सुवास, जय जननि जगदंबिका॥

॥ चौपाई ॥

सिन्धु सुता मैं सुमिरौं तोही। ज्ञान बुद्धि विद्या दो मोहि॥

तुम समान नहिं कोई उपकारी। सब विधि पुरबहु आस हमारी॥

जै जै जगत जननि जगदम्बा। सबके तुमही हो स्वलम्बा॥

तुम ही हो घट घट के वासी। विनती यही हमारी खासी॥

जग जननी जय सिन्धु कुमारी। दीनन की तुम हो हितकारी॥

विनवौं नित्य तुमहिं महारानी। कृपा करौ जग जननि भवानी।

केहि विधि स्तुति करौं तिहारी। सुधि लीजै अपराध बिसारी॥

कृपा दृष्टि चितवो मम ओरी। जगत जननि विनती सुन मोरी॥

ज्ञान बुद्धि जय सुख की दाता। संकट हरो हमारी माता॥

क्षीर सिंधु जब विष्णु मथायो। चौदह रत्न सिंधु में पायो॥

चौदह रत्न में तुम सुखरासी। सेवा कियो प्रभुहिं बनि दासी॥

जब जब जन्म जहां प्रभु लीन्हा। रूप बदल तहं सेवा कीन्हा॥

स्वयं विष्णु जब नर तनु धारा। लीन्हेउ अवधपुरी अवतारा॥

तब तुम प्रकट जनकपुर माहीं। सेवा कियो हृदय पुलकाहीं॥

अपनायो तोहि अन्तर्यामी। विश्व विदित त्रिभुवन की स्वामी॥

तुम सब प्रबल शक्ति नहिं आनी। कहं तक महिमा कहौं बखानी॥

मन क्रम वचन करै सेवकाई। मन- इच्छित वांछित फल पाई॥

तजि छल कपट और चतुराई। पूजहिं विविध भांति मन लाई॥

और हाल मैं कहौं बुझाई। जो यह पाठ करे मन लाई॥

ताको कोई कष्ट न होई। मन इच्छित फल पावै फल सोई॥

त्राहि- त्राहि जय दुःख निवारिणी। त्रिविध ताप भव बंधन हारिणि॥

जो यह चालीसा पढ़े और पढ़ावे। इसे ध्यान लगाकर सुने सुनावै॥

ताको कोई न रोग सतावै। पुत्र आदि धन सम्पत्ति पावै।

पुत्र हीन और सम्पत्ति हीना। अन्धा बधिर कोढ़ी अति दीना॥

विप्र बोलाय कै पाठ करावै। शंका दिल में कभी न लावै॥

पाठ करावै दिन चालीसा। ता पर कृपा करैं गौरीसा॥

सुख सम्पत्ति बहुत सी पावै। कमी नहीं काहू की आवै॥

बारह मास करै जो पूजा। तेहि सम धन्य और नहिं दूजा॥

प्रतिदिन पाठ करै मन माहीं। उन सम कोई जग में नाहिं॥

बहु विधि क्या मैं करौं बड़ाई। लेय परीक्षा ध्यान लगाई॥

करि विश्वास करैं व्रत नेमा। होय सिद्ध उपजै उर प्रेमा॥

जय जय जय लक्ष्मी महारानी। सब में व्यापित जो गुण खानी॥

तुम्हरो तेज प्रबल जग माहीं। तुम सम कोउ दयाल कहूं नाहीं॥

मोहि अनाथ की सुधि अब लीजै। संकट काटि भक्ति मोहि दीजे॥

भूल चूक करी क्षमा हमारी। दर्शन दीजै दशा निहारी॥

बिन दरशन व्याकुल अधिकारी। तुमहिं अक्षत दुःख सहते भारी॥

नहिं मोहिं ज्ञान बुद्धि है तन में। सब जानत हो अपने मन में॥

रूप चतुर्भुज करके धारण। कष्ट मोर अब करहु निवारण॥

कहि प्रकार मैं करौं बड़ाई। ज्ञान बुद्धि मोहिं नहिं अधिकाई॥

रामदास अब कहाई पुकारी। करो दूर तुम विपति हमारी॥

दोहा

त्राहि त्राहि दुःख हारिणी हरो बेगि सब त्रास।

जयति जयति जय लक्ष्मी करो शत्रुन का नाश॥

रामदास धरि ध्यान नित विनय करत कर जोर।

मातु लक्ष्मी दास पर करहु दया की कोर॥

Doha

Mother Lakshmi please reside in the heart.

Fulfilling my wish, I will fulfill my hope.

Sindhu Suta Vishnupriya bow down repeatedly.

Riddhi Siddhi Mangalprade Naat Shir Barabar ॥ Take.

This is more prayer, I request with folded hands.

Make all the rituals fragrant, Jai Janani Jagdambika.

, चौपै।

Sindhu Suta me Sumiraun tohi. Give me knowledge, wisdom and knowledge.

You are not equal to any benefactor. All methods are our hope.

Jai Jai Jagdamba, mother of the world. You are everyone’s self.

You are the residents of Ghat Ghat. This is our special request.

Jag Janani Jai Sindhu Kumari. You are beneficial to the poor.

I bow to you always, queen. Please bless the world’s mother Bhavani.

Some method should be praised Tihari. Take care of the crime.

Gracious vision Chitvo Mam Ori. Mother of the world, listen to my request.

The giver of knowledge, wisdom and happiness. May the crisis be our mother.

Kshir Sindhu when Vishnu Mathayo. Fourteen gems were found in Sindhu.

You are Sukhrasi among the fourteen gems. Served the Lord, became a maid.

Whenever birth where Lord Linha. Change the form and serve there.

Vishnu himself when male thin stream. Linheu Avadhpuri Avatara.

Then you appeared in Janakpur Mahi. Did you serve the heart bridge?

If you adopt, then you are antaryami. Swami of world famous Tribhuvan.

You all are not strong power. How far should I tell the glory?

Mind, order, promise, do service. Got the desired desired fruit.

Taji deceit and cleverness. Worshiped in various ways.

Where else should I put it off? The one who recites this, pleases me.

So that there is no trouble. I got the desired fruit of my mind.

Trahi-trahi jai sorrow nivarini. May you get rid of the triple heat.

Those who read and teach this Chalisa. Listen to it carefully.

So that no disease bothers you. Get son etc. wealth.

Son less and property less. Blind deaf leper very poor ॥

Will Vipra say the lesson? Never bring doubt in your heart.

Get the lesson done on the day of Chalisa. Have mercy on me Gaurisa.

Will get lots of happiness and wealth. There is no lack, why should I come?

Worship for twelve months. Blessed are you and not others.

Recite daily, my heart. There is no one like him in the world.

Multi method should I brag. Lay exam meditated.

Kari Vishwas Karein Vrat Nema. Yes, your love is proven.

Jai Jai Jai Lakshmi Queen. The qualities that are prevalent in everyone.

Your glory prevails in the world. Who should I call kind like you?

Now take care of Mohi the orphan. Give me the love of devotion that cuts the crisis.

Forgive us for our mistake. Give darshan, Dasha Nihari ॥

Distraught officer without darshan. You are the one who bears the greatest sorrow.

There is no illusion, knowledge and wisdom are in the body. You know everything in your mind.

Wearing a quadrilateral form. Now I am going to get rid of the pain.

Somehow I should brag. Knowledge and wisdom do not attract much.

Where did Ramdas call now? Take away our calamity.

Doha

Trahi trahi dukh harini haro begi all traas.

Jayati Jayati Jai Lakshmi, destroy the enemy.

Ramdas Dhari meditates daily with humility.

I have mercy on Matu Lakshmi Das.