॥ दोहा ॥
बन्दौं सन्तोषी चरण रिद्धि-सिद्धि दातार ।
ध्यान धरत ही होत नर दुःख सागर से पार ॥

भक्तन को सन्तोष दे सन्तोषी तव नाम ।
कृपा करहु जगदम्ब अब आया तेरे धाम ॥

॥ चौपाई ॥
जय सन्तोषी मात अनूपम ।
शान्ति दायिनी रूप मनोरम ॥

सुन्दर वरण चतुर्भुज रूपा ।
वेश मनोहर ललित अनुपा ॥

श्‍वेताम्बर रूप मनहारी ।
माँ तुम्हारी छवि जग से न्यारी ॥

दिव्य स्वरूपा आयत लोचन ।
दर्शन से हो संकट मोचन ॥ 4 ॥

जय गणेश की सुता भवानी ।
रिद्धि- सिद्धि की पुत्री ज्ञानी ॥

अगम अगोचर तुम्हरी माया ।
सब पर करो कृपा की छाया ॥

नाम अनेक तुम्हारे माता ।
अखिल विश्‍व है तुमको ध्याता ॥

तुमने रूप अनेकों धारे ।
को कहि सके चरित्र तुम्हारे ॥ 8 ॥

धाम अनेक कहाँ तक कहिये ।
सुमिरन तब करके सुख लहिये ॥

विन्ध्याचल में विन्ध्यवासिनी ।
कोटेश्वर सरस्वती सुहासिनी ॥

कलकत्ते में तू ही काली ।
दुष्ट नाशिनी महाकराली ॥

सम्बल पुर बहुचरा कहाती ।
भक्तजनों का दुःख मिटाती ॥ 12 ॥

ज्वाला जी में ज्वाला देवी ।
पूजत नित्य भक्त जन सेवी ॥

नगर बम्बई की महारानी ।
महा लक्ष्मी तुम कल्याणी ॥

मदुरा में मीनाक्षी तुम हो ।
सुख दुख सबकी साक्षी तुम हो ॥

राजनगर में तुम जगदम्बे ।
बनी भद्रकाली तुम अम्बे ॥ 16 ॥

पावागढ़ में दुर्गा माता ।
अखिल विश्‍व तेरा यश गाता ॥

काशी पुराधीश्‍वरी माता ।
अन्नपूर्णा नाम सुहाता ॥

सर्वानन्द करो कल्याणी ।
तुम्हीं शारदा अमृत वाणी ॥

तुम्हरी महिमा जल में थल में ।
दुःख दारिद्र सब मेटो पल में ॥ 20 ॥

जेते ऋषि और मुनीशा ।
नारद देव और देवेशा ।

इस जगती के नर और नारी ।
ध्यान धरत हैं मात तुम्हारी ॥

जापर कृपा तुम्हारी होती ।
वह पाता भक्ति का मोती ॥

दुःख दारिद्र संकट मिट जाता ।
ध्यान तुम्हारा जो जन ध्याता ॥ 24 ॥

जो जन तुम्हरी महिमा गावै ।
ध्यान तुम्हारा कर सुख पावै ॥

जो मन राखे शुद्ध भावना ।
ताकी पूरण करो कामना ॥

कुमति निवारि सुमति की दात्री ।
जयति जयति माता जगधात्री ॥

शुक्रवार का दिवस सुहावन ।
जो व्रत करे तुम्हारा पावन ॥ 28 ॥

गुड़ छोले का भोग लगावै ।
कथा तुम्हारी सुने सुनावै ॥

विधिवत पूजा करे तुम्हारी ।
फिर प्रसाद पावे शुभकारी ॥

शक्ति-सामरथ हो जो धनको ।
दान-दक्षिणा दे विप्रन को ॥

वे जगती के नर औ नारी ।
मनवांछित फल पावें भारी ॥ 32 ॥

जो जन शरण तुम्हारी जावे ।
सो निश्‍चय भव से तर जावे ॥

तुम्हरो ध्यान कुमारी ध्यावे ।
निश्चय मनवांछित वर पावै ॥

सधवा पूजा करे तुम्हारी ।
अमर सुहागिन हो वह नारी ॥

विधवा धर के ध्यान तुम्हारा ।
भवसागर से उतरे पारा ॥ 36 ॥

जयति जयति जय संकट हरणी ।
विघ्न विनाशन मंगल करनी ॥

हम पर संकट है अति भारी ।
वेगि खबर लो मात हमारी ॥

निशिदिन ध्यान तुम्हारो ध्याता ।
देह भक्ति वर हम को माता ॥

यह चालीसा जो नित गावे ।
सो भवसागर से तर जावे ॥ 40 ॥

॥ दोहा ॥
संतोषी माँ के सदा बंदहूँ पग निश वास ।
पूर्ण मनोरथ हो सकल मात हरौ भव त्रास ॥
॥ इति श्री संतोषी माता चालीसा ॥

॥ Doha ॥
Bando Santoshi Charan,
Riddhi Siddhi Datar ।
Dhyan Dharat Hi Hott Nar,
Dukh Sagar Se Paar ॥
Bhaktan Ko Santosh De,
Santoshi Tav Nama ।
Kripa Karahu Agdamba,
Aab Aaya Tere Dham ॥

॥ Chaupai ॥
Jai Santoshi Maat Anupam ।
Shanti Daayani Roop Manoram ॥

Sundar Varan Chaturbhuj Rupa ।
Vaish Manohar Lalit Anupa ॥

Shwetambar Roop Manhaari ।
Maa! Tumhari Chavi Jag Se Nayari ॥

Divy Swarup Aayat Lochan ।
Darshan Se Ho Sankat Mochan ॥ 4 ॥

Jai Ganesh Ki Suta Bhavani ।
Ridhi Sidhi Ki Putri Gyani ॥

Aagam Aagochar Tumhari Maya ।
Sab Par Karo Kripa Ki Chaya ॥

Naam Aanek Tumharo Mata ।
Aakhil Vishv Hai Tumko Dhayata ॥

Tumne Roop Aaneko Dhare ।
Ko Kahi Sake Charitra Tumhare ॥ 8 ॥

Dham Aanek Kahan Tak Kahiye ।
Sumiran Tab Karke Sukh Lehiye ॥

Vindiyachal Mai Vindiyavasini ।
Koteshwar Saraswati Suhasini ॥

Kalkate Mai Tu Hi Kali ।
Dusht Nashini Mahakarali ॥

Samhal Pur Bahuchara Kahati ।
Bhaktjano Ka Dukh Mitati ॥ 12 ॥

Jwala Ji Mai Jwala Devi ।
Pujat Nitay Bhakt Jan Savi ॥

Nagar Bambai Ki Maharani ।
Maha Lakshmi Tum Kalyani ॥

Madura Mai Meenakshi Tum Ho ।
Sukh-dukh Sabki Sakshi Tum Ho ॥

Rajnagar Mai Tum Jagdambay ।
Banee Bhradkali Tum Ambe ॥ 16 ॥

Pavagadh Mai Durga Mata ।
Akhil Vishav Tera Yash Gatta ॥

Kashi Puradhishwari Mata ।
Aaanpurna Naam Suhata ॥

Sarwanand Karo Kaliyani ।
Tumhi Sharda Amrit Vani ॥

Tumhari Mahima Jal Mai Thal Mai ।
Dukh Darid Sab Meto Pal Mai ॥ 20 ॥

Jete Risiwar Aur Munisha ।
Narad Dev Aur Devesha ॥

Es Jagati Ke Nar Aur Nari ।
Dhayan Dharat Hai Maat Tumhari ॥

Japar Kripa Tumhari Hoti ।
Veh Patta Bhakti Ka Moti ॥

Dukh Darid Sankat Mit Jata ।
Dhayan Tumhara Jo Jan Dhayata ॥ 24 ॥

Jo Jan Tumhari Mahima Gave ।
Dhayan Tumhara Kar Such Pave ॥

Jo Maan Rakhe Sudh Bhavana ।
Taki Puran Karo Kamna ॥

Kumti Nivari Sumati Ki Datri ।
Jayati Jayati Mata Jagdhatri ॥

Sukarwar Ka Diwas Suhavan ।
Jo Vart Kare Tumhara Paven ॥ 28 ॥

Guud Chole Ka Bhog Lagave ।
Katha Tumhari Sune Sunnave ॥

Vidhivat Puja Kare Tumhari ।
Phir Prasad Pave Subhkari ॥

Shakti Samrath Ho Jo Dhan Ko ।
Dan Dakshina De Vipran Ko ॥

Ve Jagti Ke Nar Aur Nari ।
Maanvanchit Phal Pave Bhari ॥ 32 ॥

Jo Jan Sharan Tumhari Jave ।
so Nishchaye Bhav Se Tar Jave ॥

Tumharo Dyan Kumari Dhayave ।
Nishchaye Maanvanchit Var Pave ॥

Sadhva Pooja Kare Tuhari ।
Amar Suhagin Ho Wo Nari ॥

Vidhva Dhar Ke Dhyan Tumhara ।
Bhavsagar Se Utre Para ॥ 36 ॥

Jayati Jayati Jai Sankat Harni ।
Vidhan Vinashan Mangal Karni ॥

Hum Par Sankat Hai Aati Bhari ।
Vegi Khabar Lo Maat Hamari ॥

Nishidin Dhayan Tumharo Dhayta ।
Dehi Bhakti Var Hum Ko Mata ॥

Yeh Chalisa Jo Nit Gave ।
so Bhavsagar Se Tar Jave ॥ 40 ॥